पिछले चार साल में दोगुना बढ़े महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामले

महिलाओं का पीछा करने जैसे अपराध के मामले दर्ज कराने में तेजी आई है। हालांकि, इस तरह के मामलों में कार्रवाई की दर काफी कम है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है कि महिलाएं बीते कुछ सालों में आगे आकर अपने साथ पीछा करने या कमेंट करने जैसे मामलों की शिकायत दर्ज कराने लगी हैं। वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2018 में महिलाओं का पीछा करने की दोगुनी घटनाएं दर्ज की गई हैं। इस तरह का उत्पीड़न देशभर में आम है।

पुलिस मानती है कि जागरुकता के चलते इस तरह की घटनाओं में महानगरों में ज्यादा शिकायतें दर्ज हो रही हैं। जबकि महिला संगठनों का मानना है कि अभी भी महिलाओं की हिचक के चलते सही तस्वीर सामने नहीं आ पा रही है। ज्यादातर मामलों में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी करती है।

आंकड़े बताते हैं कि इस तरह की घटनाओं पर कार्रवाई की दर काफी कम है। वर्ष 2018 में 12,947 पीछा करने के मामलों में जांच चल रही थी। इनमें से 9438 नए मामले और 3505 पुराने मामले थे। जानकारों का कहना है कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई न करने के पीछे पुलिस की मानसिकता भी है। पुलिस ऐसे अपराधों को बहुत गंभीरता से नहीं लेती है। लिहाजा जांच सुस्त गति से चलती रहती है।

2018 के अंत तक करीब 31 फीसदी मामलों में जांच लंबित थी जबकि 10.7 फीसदी मामलों को बिना चार्जशीट दाखिल किए ही खत्म कर दिया गया। करीब 30 फीसदी मामलों में ही दोषियों को दंड मिला।

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