आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी के संकट से लड़ रही है जिसके कारण लाक डाऊन की त्रासदी से आम जनता को गुज़रना पड़ रहा है. ईद का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है. एक महीने का रोज़ा (उपवास) रखने के बाद ईद का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है. इस त्यौहार में लोग एक दूसरे से गले लग कर ईद की मुबारकबाद देते हैं. इस त्यौहार में नए परिधान, तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं. हर शख्स अपनी हैसियत के मुताबिक अपनी खुशी का इज़हार करता है, नए कपड़े पहन कर ईद की नमाज़ अदा की जाती है. बच्चे नए कपड़े पहन कर रिश्तेदारों से सलाम करके हक से ईदी वसूल करते हैं. कई शहरों में छोटे छोटे मेलों का आयोजन किया जाता है जिस में बच्चे अपने अपने ग्रूप के साथ आनंद उठाते हैं. एकदूसरे के घर लोग मिलने जाते हैं जिससे आपस में मोहब्बत बढ़ती है.
शीर खुरमा त्यौहार का खास पकवान
शीर खुरमा इस त्यौहार का खास पकवान है. ईद के त्यौहार की तैयारी के लिए बाज़ार पहले से सजाए जाते है जिसमें अच्छे कपड़ो की दुकाने, चप्पल जूतों की दुकानें, अत्तर व खुश्बु की दुकानें, सेवईयों की दुकानें, घर के सजावटी सामान की दुकानें, मेवों की दुकानें, कांच के बर्तनों की दुकानें और कई प्रकार की दुकानें सजाई जाती हैं और लोग बड़े शौक से खरीदी करते हैं बल्कि खरीदी का एक मुकाबला सा होता है.
पिछले 3 महीनों से लाक डाऊन के कारण बाजार पूरी तरह बंद है जिसके चलते खरीदी बिलकुल बंद है. रमज़ान का पाक महीना पूर्ण रूप से इबादत का महीना है जिसमें मसजिदें हर समय इबादत करनेवालों से भरी होती है. मस्जिदों का सजाया जाता है. लेकिन लाक डाऊन के कारण मस्जिदों को पूरी तरह बंद कर दिया गया और इबादत अपने अपने घरों में करने के आदेश दिए गए जिस से आम जनता में एक निराशा का माहौल होगया. यही कारण है कि इस खुशी के अवसर पर जब मस्जिदें बंद हैं सार्वजनिक इबादत की इजाज़त नहीं तो फिर त्यौहार की खुशी कैसी. सोशल डिस्टेंसिंग के आदेश के कारण लोग एक दूसरे से दूर होगए. लोगों में एक दूसरे से मिलने की खुशी भी नहीं रही. लाक डाऊन ने सब को निराश कर दिया, लोगों ने नए कपड़ों की खरीदी नहीं की और ना ही जूते चप्पल खरीदे, बच्चों ने भी सब्र से काम लिया और पुराने कपड़ों में ही ईद मनाई जैसे ईद कहीं खोगई हो, और यह ज़िदगी की पहली ईद होगी जो बगैर खुशी के मनाई गई. कैद खाने की ईद….
कुछ नन्हे मूंने बच्चे अपने क़दमों को रोक नहीं पाए
ईद पर शहर में अलग अलग इलाकों में मेला लगता आ रहे है जिसमें बच्चों के लिए सदियों से लगते आ रहा है। जहाँ बच्चे ही नहीं बल्कि नव जवान बुज़ुर्ग भी आ कर मेले का आनंद लिया करते थे। कुछ नन्हे मूंने बच्चे अपने क़दमों को रोक नहीं पाए, तैयार हो कर पुराने मगर रंग बिरंगे कपडे पहन कर में लगने वाले मेले की तरफ दौड़ पढ़ें मगर उन्हें मायूसी का सामना करना पढ़ा क्यों के लॉक डाउन के कारण किसी किस्म के मेले नहीं लग पाये।
वाट्सअप और फेसबुक पर चलता रहा शुभकामनाओं का दौर
ईद का चांद नजर आने के बाद से ही चाहे फिर बच्चे हो या युवा सभी वाट्सअप और फेसबुक पर एक दुसरे को ईद की मुबारकबाद व शुभकामनाएं देने में बिजी रहे , शुभकामनाओं का दौर ईद के दिन जोरों पर रहा . सोमवार को दिनभर ईद मुबारकबाद के मैसेज एक दूसरे को भेजकर लोगों ने ईद की खुशीयां एक दूसरे से शेयर की. हिन्दू भाईयों ने भी रमजान ईद की मुबारकबाद के संदेश भेजकर मुस्लिम भाईयों को ईद की शुभकामनाएं प्रेषित की. कोरोना वायरस के कारण पर्व की रौनक पर इसका खासा असर रहा.
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