मुंबई में बढ़े डेंगू के मामले, मलेरिया, डेंगी के साथ-साथ हेपेटाइटिस का भी प्रकोप,जानिए क्या है बात…..

ओमिक्रॉन से जंग लड़ रही बीएमसी के लिए मॉनसूनी बीमारियां भी सिरदर्द बनी हुई हैं। मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू जैसी मॉनसूनी बीमारियों का जोर अभी भी मुंबई में दिखाई दे रहा है। डेंगी का संकट इस वर्ष अधिक बढ़ गया है। एक वर्ष में डेंगू के मामलों में 7 गुना वृद्धि हुई है। बीते वर्ष डेंगू के 129 मामले आए थे, जो इस वर्ष बढ़कर 865 तक पहुंच गए। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मॉनसूनी बीमारियों से होने वाली मौत नियंत्रण में हैं। बीते वर्ष मलेरिया, लेप्टो और डेंगू से 12 लोगों की मौत हुई थी, जबकि इस वर्ष लेप्टो और डेंगू से सिर्फ 7 लोगों की ही मौत हुई है।

बता दें कि मलेरिया, डेंगू के साथ-साथ हेपेटाइटिस का प्रकोप भी बना हुआ है। बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक बीते वर्ष मलेरिया के 5007 मामले थे, जबकि इस वर्ष 19 दिसंबर तक 5083 मरीज मिले हैं। बीते वर्ष मलेरिया से एक की मौत हुई है, जबकि इस वर्ष अच्छी बात यह रही कि मलेरिया से एक भी मौत नहीं हुई है।

मुंबईकरों में डेंगू, गैस्ट्रो, हेपेटाइटिस, चिकनगुनिया और स्वाइन फ्लू का संकट भी बना हुआ है। 2020 के मुकाबले 2021 के नवंबर में डेंगू, हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो के मामले अधिक पाए गए हैं। बीते वर्ष चिकनगुनिया शून्य थे, जबकि इस वर्ष चिकनगुनिया का अधिक दबदबा रहा। इस वर्ष चिकनगुनिया के 76 मामले मिले हैं। बीएमसी की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमारे ने बताया कि लोगों को जागरूक करने से लेकर बीमारियों के इलाज तक के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं।
डेंगू, चिकनगुनिया और झिका वायरस एडीज इजिप्टी मच्छर से फैलता है। बीएमसी कीटनाशक विभाग के प्रमुख राजन नरिंगरिकर ने बताया कि अभी तक डेंगू मच्छरों के 80 हजार से लार्वा का नाश किया गया है। संख्याओं का आकलन करें, तो कीटनाशक विभाग रोजाना 300 लार्वा को नष्ट करते हैं।