बिना नियोजन स्कूल बंद, छात्र हो रहे पढाई से वंचित, मानसिक स्थिति पर भी हो रहा असर

कोरोना की वजह पिछले दो वर्ष से स्कूलों में पढ़ाई की गाड़ी पटरी से उतर चुकी है. सरकार भी मान चुकी है कि ऑनलाइन स्टडी में सभी छात्रों को लाभ नहीं मिलता. इसके बाद भी नियोजन किये बिना ही स्कूल बंद किया जा रहा है. इससे न केवल छात्रों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है, बल्कि मानसिक परिणाम भी हो रहा है. शिक्षक संगठनों का कहना है कि स्कूल बंद करने के पहले सरकार नियोजन करे. निर्धन व जरूरतमंद छात्रों को मोबाइल, टैब दिये जाये. तभी सही मायने में ऑनलाइन स्टडी का उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा.

कोरोना के प्रादुर्भाव के बाद से स्कूल नियमित नहीं हो सकी है. शुरुआत में करीब 4-5 महीने स्कूल बंद रहा. कुछ दिनों की राहत मिली लेकिन बाद भी फिर से बंद कर दिया गया. नवंबर में एक बार फिर से स्कूल शुरू किया गया लेकिन इस वर्ष जनवरी में सभी कक्षाएं बंद करनी पड़ीं. बार-बार स्कूल बंद होने से शिक्षकों को भी अध्यापन का नियोजन करने में दिक्कतें आ रही है.
एक अध्ययन के मुताबिक जिले में करीब 60 फीसदी छात्र ही ऑनलाइन पढ़ाई में शामिल हो पा रहे हैं. इनमें भी नियमित रूप से नहीं है. सरकारी और ग्रामीण भागों की स्कूलों ऑनलाइन पढ़ाई की बजाय ऑनलाइन होम वर्क दे रहे हैं. इससे सिलेबस पूरा नहीं हो रहा है. जिन छात्रों के पास साधन-सुविधाओं का अभाव हैं. वे शिक्षा की मुख्य धारा से दूर हो रहे हैं.इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों की करीब 30 फीसदी लड़कियां पढ़ाई से पूरी तरह दूर हो चुकी है. भविष्य की दृष्टि से यह आंकड़ा भयावह है. शिक्षक संगठनों की मानें तो छात्रों को कोरोना से बचाये रखना भी जरूरी है लेकिन पढ़ाई का नुकसान न हो, इस ओर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है. वर्तमान में सब कुछ खुला है लेकिन केवल स्कूलों को ही बंद रख गया है. निर्धन व जरूरतमंद छात्रों को स्मार्ट फोन, टैब आदि का वितरण करना चाहिए.
राज्य के शिक्षा विभाग ने भविष्य के किसी भी संकेत की पहचान नहीं की है. तीसरी लहर पर यह सुनिश्चित करने के लिए होम वर्क नहीं किया गया है कि राज्य में एक भी छात्र शिक्षा से वंचित न रहे. सरकार ने ‘मेरे छात्र, मेरी जिम्मेदारी’ मुहिम पर ही आंखें मूंद ली हैं. राज्य सरकार को शिक्षा पर निधि खर्च करना चाहिये. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कई ऐसे छात्र हैं जिनके पास न ही मोबाइल है और न ही नेट पैक के लिए पैसे हैं. इन छात्रों को मोबाइल, टैब जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए. इसके बाद ही ऑनलाइन शिक्षा शुरू की जानी चाहिए. –
प्रा.सपन नेहरोत्रा, महामंत्री, शिक्षक भारती शिक्षा को लेकर राज्य में विचित्र स्थिति बनी हुई है. इससे पहले भी ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई थी लेकिन वह सफल नहीं हो सकी. अनेक छात्रों को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इससे शैक्षणिक नुकसान के साथ ही मानसिक परेशानी भी हो रही है. ग्रामीण भागों के छात्र शिक्षा से दूर हो रहे हैं. कोरोना कब तक खत्म होगा इसका जवाब सरकार के पास भी नहीं है. यही वजह है कि जरूरतमंद छात्रों को तकनीकी दृष्टि से मजबूत किया जाना चाहिए. उन्हें स्मार्ट फोन, टैब देना सरकार की ही जिम्मेदारी है. सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती. – योगेश बन, कार्यवाह, महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद