लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने पर ,मोदी सरकार पर महिला सांसद ने उठाये सवाल
लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है. सूत्रों से यह जानकारी मिल रही है. सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला हुआ. महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव के लिए सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन करेगी. सरकार के इस कदम पर देश की महिला सांसदों का अलग-अलग रुख है. विपक्षी पार्टियों की महिला सांसदों ने इसका विरोध किया है. वहीं, महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने कैबिनेट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब लड़कियों के पास ज्यादा अधिकार होंगे.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन (Dola Sen) ने सरकार के कदम का विरोध करते कहा, “देखिए बुरा मत मानिए. मोदी रिजीम चल रहा है. मोदी हैं तो मुमकिन है. औरतों को क्या मानते हैं. वो बुरा माने या भला. इनको क्या फर्क पड़ता है. हम क्या खाएंगे या क्या पहनेंगे… कितने साल पर शादी करेंगे. सब मोदी जी के हाथ में है.”
उन्होंने कहा कि देखिए जब कश्मीर की बात उठी तब भी हमने कहा कि वोट करना चाहिए तब फैसला ले. उनकी राय क्या है वो कोई हेड मास्टर नहीं हैं. देश की महिलाओं से इस बारे में पहले राय लेनी चाहिए, वो क्या चाहती हैं?
शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि “जो भी फैसले हो रहे हैं महिलाओं से बग़ैर पूछे… बिना उनकी राय के लिए गए. जब वोटिंग ऐज (मतदान की उम्न) 18 साल है तो शादी के लिये 21 साल. कैबिनेट यह फैसला करेगी कितनी पढ़ाई करनी है, किससे शादी करनी है, कब बच्चा पैदा करना है… तो महिलाएं क्या करेंगी. चाइल्ड मैरिज भी बढ़ी है.”
कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने कहा, “अभी उनका स्पष्ट बहुमत है. वो यह कानून क्यों नहीं लाते कि महिलाओं को आरक्षण मिले संसद और विधानसभा में. महिलाओ के बारे में फैसला महिलाओं को ही लेने दें. महिलाओं को लेकर बिल लेकर ताकत दे. वो चीजें थोपे नहीं.
वहीं, लोकसभा सांसद नवनीत राणा ने महिलाओं के विवाह की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया. नवनीत राणा ने कहा कि अब लड़कियों के पास ज्यादा अधिकार होगा… शादी को लेकर फैसले करने का, पढ़ाई पूरा करने का. इसके लिए भारतीय समाज को भी तैयार करना होगा. इसमें समय लगेगा. जब शादी की उम्र 16 साल से 18 साल की गई थी उस वक्त भी कई लोगों को स्वीकार करने में समय लगा था.